संगीत सम्मेलन

शहर के रईस इलाके में स्थित हॉल आहिस्ता आहिस्ता भरा जा रहा था

” अरे मोहन भाई, क्या बात है? आप और यहां? क्लासिकल संगीत प्रोग्राम एटेंड करने आये है? “

मोहन भाई मुस्कुराये ” नहीं जी , में तो मेरे साले बंधू रमेश भाई को मिलने आया था तो उन्होंने कहा आ जाईये । रमेश भाई को आप जानते हो ना? क्लासिकल में उनको काफी दिलचस्पी है, में तो ठीक हूँ “
“अरे रमेश भाई को कौन नहीं जानता? वो तो ये संगीत सम्मेलन की शान है जी। चलो आप आ गए तो अच्छा हुआ । सुविख्यात सारंगी वादक मोहमद खान को सुन ने का मौका मिलेगा आपको, और साथ में जाने माने तबला वादक असलम खान भी तो है?”
“हाँ जी, बिलकुल; लेकिन में इनमेसे किसीको नहीं जानत। क्लासिकल में इतनी समझ नहीं है मेरी । यही कोशिश में हूँ की मेरे जाने पहचाने दोस्त या रिश्तेदार मिल जाए। ” मोहन भाई ने चारों और नज़र घुमायी ।

उधर ग्रीन रूम में एक और तमाशा जारी था:
सारंगी उस्ताद मोहमद खान कुच्छ बिगड़े हुए मिज़ाज में थे । सारंगी की दर्जन तारो को मिलाने में अनहद कठिनाई हो रही थी उन्हें।
“अरे सुनो तो ” मोहमद खान ने चाय की कितली ले के जा रहे लड़के को बुलाया ” देखो ये एयर कंडीशनर को तनिक बांध करवा दीजिये”
“में अभी एलेक्ट्रिसिअन को खबर करता हूँ ” इतना कहके लड़का निकल गया
असलम खान जो अभी तक अपने तबले को हथोड़ी सी ट्यून कर रहे थे वो बोले ” अरे उस्तादजी ये तो चाय वाला है । में अभी रमेश भाई को सीधा “काल” करता हूँ और चुटकी में आपका काम हो जाएगा”‘

कॉन्सर्ट हाल में इतना शोर था तो रमेश भाई को फोन कैसे सुनायी देगा?

“अरे छोडो ये सब, असलमभाई, ये सब ऐसे ही है । इनको कहाँ अच्छे संगीत की कदर है ? देखिये न हमारे जैसे उच्च कोटि के कलाकार के साथ कैसा सलूक कर रहे है ये लोग ? मैने तो तय कर लिया है आज में डेढ़ घंटा ही बजाऊंगा और निकल जाऊँगा। “

“ठीक है उस्ताद जी , जैसा आप कहें”

“और एक बात, असलम भाई । ऐसे लोगो को आप प्रभावित करने की कोशिश बिलकुल ना करें । वो लोग को कोई कदर नहीं है। बस अपना ठेका लगाते रहो और में जब इशारा करुँ तो मार देना कोई अपनी चीज़ “

“जैसा आप कहें ” असलम भाई कुछ मुरझा गए ।

‘और ये आपके बाए हाथ में पट्टी क्यों बाँध रखी है? “
“क्या ये? कुच्छ नहीं हुआ है मुझे । ये तो बस ऐसे ही।।।।।।। कई बार करता हूँ ” असलम भाई की नज़ार झुक गयी
“अच्छा तो पब्लिक को ये लगे की आपको इतना दर्द हो रहा है फिर भी बजा रहे हो। क्या सोचते हो? पब्लिक ताली बजाएगी ?

“बरखुरदार निकालो ये सब, नखरा छोडो और सीधे सीधे बजा कर निकल जाएँ , समझे?” अब असलम बेचारा क्या बोलता ?

दोनों ने कुच्छ देर तक रियाज़ किया। चार पांच कप चाय के बाद ऑर्गेनाइज़र के बुलावे का इंतज़ार करने लगे।

अब हम चलें ‘हाल’ की और:

हाल में धीरे धीरे लोग आते दिखाई दिए । चीफ गेस्ट का इंतज़ार हो रहा थ।

फ्रंट रो में बैठे मोहन भाई की नज़र अचानक बीच वाली रो में बिराजमान जिग्नेश भाई पे पड़ी। ” जिग्नेशभाई शहर के एक सुविख्यात बिज़नेस में थे । दूध जैसी श्वेत कुर्ते पायजामे पहने हुए, कंधे पे एक महँगी वाली शाल स्टाइल में ओढ़े हुए जिग्नेशभाई ने मोहन भाई को उनकी और हाथ हिलाते दिखाई दिए तो अपनी पत्नी से कहा ‘ अरे ये तो मोहन भाई है; तू जानती तो है ना? “
उनकी पत्नी कोई मोटी सी औरत के साथ बात चीत में लगी हुई थी।
“तो आप चलें जाइए न वहाँ?”
जिग्नेष भाई का लिबाश ऐसा था के लोगो को लगे के शायद यही है वो आर्टिस्ट जो बजाने वाले है। दुसरे बैठे हुए लोगो को हटाते हटाते जिग्नेशभाई पहुंचे रमेशभाई के पास।
‘जय श्री कृष्णा, मोहन भाई” जिग्नेशभाई ने उनको गले लगाया ।
“अरे क्या कहना आपके लिबास का, बिलकुल आर्टिस्ट लगते हैं । आप भी कोई आइटम पेश करने वाले है ?”
मोहनभाई ने जिग्नेशभाई को कोई स्थानिक प्रोग्राम में एकाद फ़िल्मी गीत गाते सुन लिया था, तो उनको भगवान् कसम ऐसा लगा की ये कोई ऐसा वैसा ही प्रोग्राम होगा जहां पे एक के बाद एक गाने वाले आएंगे और अपनी ‘कला’ प्रस्र्तुत करेंगे ।
“मोहनभाई क्यों मेरी मजाक उड़ा रहे हो?” जिग्नेशभाई ने जूठा गुस्स्सा किया।

अब आइये स्टेज पर जहां पर्दा खुल रहा था। स्टेज पे कुछ कुर्सियां लगाई हुई थी
“अच्छा तो जिग्नेशभाई इंटरवल में जरूर मिलेंगे और बहुत सारी बातें करेंगे । यहां के स्टॉल में कचौड़ियां बहुत अच्छी मिलती है वो जरूर खाना। इतनी मज़ेदार है की आप अपने वो नुक्कड़ वाले की कचौड़ी भूल जाएंगे “
स्टेज पे दोनों कलाकार बिराजमान थे। उनको बिलकुल पता था की ये गेस्ट को वेलकम करने की विधि बहुत लम्बी चलने वाली है । मोहमद खान ने हाल में बैठे हुए लोगो को देख कर अपना सर हिलाया।

रमेश राठोड उठे और माइक की और प्रस्थान किया

“प्रोग्राम कुछ ही क्षणो में आरम्भ होग। आप सभी को मेरा ये आग्रह है की अपना अपना स्थान ग्रहण कर ले। हमें बस अब इंतज़ार है तो हमारे सब के चहिते हंस राज भाई के पधारनेका “
एक स्वयंसेवक ने आ कर रमेश भाई के कान में कुछ कहाँ जिस की वजह से रमेशभाई हर्षोल्लित हो गए
“आप सभी को जान कर ख़ुशी होगी के हमारे चहिते हंस राज भाई का आगमन परिसर में हो चूका है _” इतना कह कर वो स्टेज के साइड प्रवेश की और भागे।
बड़ी इज्जत के साथ विस्तृत काया धारी हंसराज भाई स्टेज पे प्रगट हुए और सबको नमस्कार करते हुए मुख्य कुर्सी पे बिराजमान हुए ; प्रसन्न मुद्रा में उनकी नज़र पूरे हाल में फ़ैल गयी
रमेशभाई के इशारे पर हाल में बिराजमान सभी लोगों ने ताली बजाकर चीफ गेस्ट का अभिवादन किया
हंसराज भाई की विस्तृत काया को छोटी सी कुर्सी में फिट होने पे कुछ दिक्कत तो हुई लेकिन उनके चेहरे पर मुस्कराहट बरकरार

फिर तो उनका आशीर्वाद पाने की धारा अविरत शुरू हो गयी । चेरमैन, वाइस चेरमैन, सेक्रेटरी, डेपुटी सेक्रेटरी, खजांची, सब के सब निकल पड़े, चीफ गेस्ट के पास जाके अदब से झुके और फोटोग्राफर फोटो खींचता है वो कन्फर्म करने के बाद ही उठे वहां से
दोनों कलाकार ये नज़ारा देखके मुस्कुराये
फिट दौर शुरू हुआ दुसरे सब गेस्ट का फूलों से अभिवादन करनेका और इस बार ऑफिस बेरर की पत्नीयां तैयार !
हंसराज भाई बैठे बेहरे मुस्कुराते गए और सभा में बैठे हुए उनके दोस्त- जो भी नज़र में आ जाए उनकी और हाथ हिलाते रहे

आखिर में आया वक्त कलाकारों के अभिवादन का
छोटी छोटी बालाएं आ कर एक के बाद एक दोनों कलाकार को बड़ा सा गुलदस्ता दे कर वापस हो गयी।
मोहमद खान और असलम खान बेचारे अपने साज को संभाल ते हुए उठे और गुलदस्ता स्वीकार किय।

फिर क्या था?

रमेश भाई ने माइक को एक बार फिर सम्भाला और कलाकार के परिचय का दौर शुरू हुआ ; वो कलाकार “जिनके परिचय की कोई आवश्यकता नहीं है” !”

—–अगला मज़ेदार किस्सा कुछ एक दो दिन में – इंतज़ार कीजिये


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