छोटे शहरों की बात कुछ अलग होती है, उनकी समस्याएं भी अजीब।
बड़े उत्साह में रमेश भाई बोलने खड़े हुए की लाइट डूल ! पब्लिक को और मज़ा ! धुँधले प्रकाश में कुछ लोग खड़े हो गए । सिटीआं बजनी शुरू हो गयी । सर्वत्र आनंद ही आनंद।
स्टेज पर चीफ गेस्ट हंसराज भाई और अन्य ख़ास मेहमान अपनी जगह पे बैठे रह। ऑर्गेनाइजर्स को गेस्ट की बहुत फ़िक्र थी ।
“अरे कोई हॉल के मैनेजर को खबर करो की जनरेटर चालु करें ” वाइस चेरमेन विवेक भगत जी फरमान छेड़ा।
इस हल्ले के माहौल में स्टेज ऊपर कोई बड़ी चीज़ गिरनेकी आवाज़ आयी । एक वॉलंटिअर हाथ में बड़ी सी टोर्च लेके स्टेज पे हाजिर। देखा तो आदरणीय चीफ गेस्ट कुर्सी से निचे गिर पड़े थ। बड़ी मुश्किल से उन्होंने कुर्सी में अपने आपको फिट किया था तो ये तो होना ही था।
लाइट किसी तरह वापस आ गयी। श्रोता गण ने देखा की चीफ गेस्ट को बड़े आदर से सपोर्ट दे कर स्टेज से बाहर लिआ जा रहा था
रमेश भाई फिर से अपनी प्रिय ड्यूटी पे !
“प्रिय श्रोता गण से मेरा आग्रह है को अपना स्थान ग्रहण कर लें। शान्ति बनाए रखें। इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वालोने हमें आश्वासन दिया है की अब सब ठीक है। दोस्तों, एक ही छोटा सा प्रॉब्लम है। ——— ” कुछ रूक कर ” अब ऐसी नहीं चला पाएंगे। थेंक्स फॉर योर कॉपरेशन। थेंक यु। थेंक यु। थेंक यु। ” स्टेज पे कलाकार अपने अपने बाज को अपनी गोद में समाये बैठे रहे थे – ताकि अफरा तफरी में कोई उनके साज को हानि न पहुंचा दे।
“हम सब प्रार्थना करें की आदरणीय हंसराज भाई खुशहाल रहें” रमेशभाई माइक पे लगे रहे।
“चलो जो हुआ वो ठीक ही हुआ। आगे वाली सीट से किसीने कहा।
“ये लाइट कभी शनिवार को जाती नहि है ये शहर में ” जिग्नेश भाई ने मोहन भाई को बताय। अब मोहन भाई को लाइट जाने के टाइम टेबल में क्या दिलचस्पी ?
अपनी ड्यूटी निभाते हुए रमेश राठोड ने अपने चश्मे लगाए और शुरू ” प्रिय श्रोता मित्रों, हमारी ये खुशनसीबी है के आज हमारे मनोरंजन हेतु, माँ सरस्वती के आशीर्वाद से हिन्दुस्तांन के सुबिख्यात सारंगी वादक उस्ताद मोहमद खान पधारे हैं। आप बिहार घराने के प्रसिद्ध सारंगी वादक उस्ताद अहमदखां के शिष्य है।________”
पास में बैठे हुए उस्ताद मोहमद खान ने कुछ इशारा किया तो रमेशभाई ने गलती सुधार ली ‘ माफ़ कीजियेगा, मेरा मतलब है मैहर घराने के उस्ताद
अहमदखां। उस्ताद मोहमद खान ने दस बरस की बाली उम्र में अपना पहला पब्लिक प्रोग्राम दिया और देश विदेश में अनगिनत प्रोग्राम किये हैं।
और ख़ुशी की बात ये है के उनके साथ हैं तबले पे उस्ताद असलमखान। एक हैरानी की बात ये है की हॉल पे यहां आते आते उनका एक्सीडेंट हो गया। बांये हाथ में चोट आयी है लेकिन फिर भी वो आज बजा लेंगे। “
मोहमदखा ने असलम की और तीखी नज़र फेंकी; घायल असलम बेचारा। पब्लिक ने खड़े हो कर तालिआं बजायी। असलम ने तो प्रोग्राम शुरू करने से पहले ही बाजी मार ली। “बेवकूफ”, मोहमद खान ने नकली स्मित कर ताली बजाते असलम को सुना दी।
रमेश भाई ” उस्ताद जी शाम का राग यमन पेश करेंगे”
श्रोताओं में से कुछ गुणीजन के मुख से यमन राग का नाम सुन कर ‘आह’ निकल गयी।
हमारे जिग्नेशभाई के बगल में बायीं और एक विद्वान सा गुणीजन बैठा था उनके कान में पूछने लगे “यमन राग में कौनसा फ़िल्मी गाना है?”
वो असली में मराठी गुणीजन निकले ” काय रे भाउ, एवढं पण माहित नाही का ? ” जिग्नेश बेचारा चुप।
दायीं और बैठे मोहन भाई को बाहर फॉयर से कचौड़ी की खुशबू आने लगी थी – मन मोर नाच उठा था उनका।
अब शुरू हुई साज को ट्यून करने की विधि। इतने सारे पंखे की आवाज से उनको ट्यून करनेमे कठिनाई हो रही थी।
” जिग्नेशभाई, ये लोग पहले से अपने साज को ट्यून कर के क्यों नहीं आते ?” मोहन भाई को ये जो प्रश्न मन में आया वो कई अन्य लोगो के मन में अवश्य आता होगा।
” ग्रेट ट्रेडिशन, शास्त्रीय संगीत की ये धरोहर है, मोहन भाई , बस देखते जाओ, आनंद लो ” गुणीजन जिग्नेश ने समाधान किया।
” श श श ” मराठी गुणीजन ने दोनोको चुप करा दिय।
“आज यहां हमारा कुछ होने वाला नहि है, मोहमद भाई” स्टेज पर असलम बोले
“तू अपना ठेका पकड़के बैठ, बोला ना तेरेको?”
“लेकिन मेरी हथौड़ी नहि मिल रही है, भाई”
देखने वालों को ये अजीब जुगल बंदी की पता न चले इस लिए अपने चेहरे पे एक नकली स्मित बना कर मोहमद खान ने सुनाया ” तो अपना सर पटक। एक तो दिखावे के लिए हाथ पे पट्टी लगा कर चले आया, रमेश भाई को बता भी दिया और अब ये तमाशा !”
असलम खान सहम गए लेकिन दूसरी क्षण में अपने मोटी सी बेग के नीचे से हथौड़ी मिल गयी। उसने मोहमद खान की और सर हिलाया
“अब चालू करो ” श्रोता गण में से पीछे से कोई चिल्लाया
रमेश राठोड, जो जानते थे की ऐसे उपद्रवी लोग कुछ शोर करेंगे वो पीछे की और खड़े थे। उन्होंने ने चिल्लाने वाले के पास जा कर नाक पे ऊँगली रख।
“बड़ा आया, अपने आप को बड़ा गुणी समझता है ये रमेश ” चिल्लाने वाला महाशय बैठ तो गया लेकिन बगल में बैठी पत्नी से अपना गुस्सा जताया। “
“आप क्यों ऐसे लोगोके मुंह लगते हो? में जानती हूँ इसकी पत्नी उषा जो पिछले पांच साल से हमारे लोकल गुरु सुरेश भाई से सीख रही है लेकिन गरबा के टाइम तो में ही अच्छा गा लेती हूँ, हाँ। उसकी हैसियत ही नहि मेरे साथ मुकाबला करने की ”
कलाकारों का ट्यूनिंग और १० मिनट चला।
रमेश भाई ये मौक़ा क्यों गवांये ? कलाकारों की और एक स्मित करते करते एक नज़र डाल के सीधे माइक के पास,
“भाईओ और बहनो, थेंक्स फॉर योर कॉपरेशन। जब तक ये कलाकार अपना ट्यूनिंग कर लें, उनकी परमिसन से दो बातें बता दूँ , प्लीज़। अभी अभी खबर मिली है की हमारे प्रिय हंसराज भाई को डॉक्टर ने दवाई दे दी है और वो आराम फरमा रहे है। ” कुछ लोगो ने ताली बजाई
“दूसरी ख़ास बात, ( कलाकार की और एक क्षमा भरी नज़र ) , ये साल की मेम्बरशिप जिन लोगोने अभी तक नहि रिन्यू की है उनसे मेरा अनुरोध है के बाहर एक स्पेसिअल काउंटर लगाया है वहां जाकर पेमेंट कर दें। थैंक्स फॉर योर कॉपरेशन। थेंक यु, थेंक यु , थेंक यु। ”
जैसे वो माइक से कुछ हटे तो एक वॉलंटिअर भागा हुआ उनके पास आ गया और हाथ में एक छोटी सी चिट थमा कर कान में कुछ कहा।
“ओह सोरी, ‘ नाक पर फिर अपना चश्मा लगाया, “गाडी नंबर MH 02 AJ 4567 हमारे हंसराज भाई की गाडी को ब्लॉक कर रही है तो प्लीज़ गाडी जिन महानुभाव की हो उनसे मेरा नम्र निवेदन है के उसे हटाएँ। ”
रमेश भाई एक आखरी बार कलाकार की और क्षोभपूर्ण स्माइल करते हुए स्टेज से बिदा हो गए।
बीचवाली लाइन से एक महाशय उठते दिखाई दिए और किसी भी प्रकार के क्षोभ बिना अपनी मस्त चाल से हॉल से बाहर निकल गए।
कलाकार अब बिलकुल रेडी।
‘कौआ चला हंस की चाल”
शो अभी बाकी है मेरे दोस्त।
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क्रमशः
Keep continue dear Rajen bhai…
Thanks, Harishbhai. I will continue …. with your good wishes