
अगर मैं
बेवजह कविता और कहानियां नहीं लिखता तो क्या हो जाता ?
आंख बंध कर हर दिन बाजा नहीं बजाता तो क्या हो जाता ?
खिड़की खोल फ़ैली हरियाली नहीं देखता तो क्या हो जाता ?
पंछिओं के चहचहाट भरे गान नहीं सुनता तो क्या हो जाता ?
वोही होता अगर मैं ना भी होता
कोई और लिखता
कोई और बजाता
कोई और देखता
कोई और सुनता
aagaaz toh achchha hai, lekin… Looks like an unfinished item!
isse koi khubsoorat anjaam dete toh kya ho jata?