मुझे जीने दो

अंकल, ये क्या लगा रखा है बचपना?
घुमते रहते हो बारिशमें क्यों बेपरवा ?
और ज़ुकाम हो जाएगा, और बुखार
और कौन करेगा चक्कर अस्पताल

मेरी हाथ जोड़ बिनती, ‘ भैया,
बचपन की , कुछ यादें है ना?
कुछ मस्ती तो है बनती है ना ?
तसल्लीसे मुझे जीने दो ना ?

राजेन नायक
मंगलवार , जून २७, २०२३


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