दिल है की मानता नहींDil Hai kee Maanataa Nahin

दिल की सुनु ,बजाऊं जब भी दिल चाहे , कहीं भी कभी भी तो ये है वह गीत जो मैंने ऐसे ही बजा दिया प्रथम तरंग पे , ना कोई तबला ना कोई सुन ने वाला चंद लाइने – बजा दी